श्रुति विज्ञानआचार्यकुलम्
परिचय :-
ऋषियों, मुनियों, तपस्वियों, योगियों तथा कर्मठों की यह भूमि भारतवर्ष समस्त विश्व के लिये आदिकाल से ही ज्ञान-विज्ञान प्राप्ति का केंद्र रहा है । इस ज्ञान-विज्ञान के मूल पवित्र वेद हैं, जिनकी हमने निःस्वार्थ धर्म समझ कर रक्षा की है । इसी तपस्या का फल है कि अनेकों विदेशी पदाक्रान्ताओं द्वारा अनेकविध प्रयासों से भी हमारी सतत वेदाध्ययन की परम्परा नष्ट न हो सकी। पवित्र वेदज्ञान ही हमारे मैत्री, करुणा, मुदिता, देशभक्ति, ज्ञानप्रियता, परोपकार, सुहृदयता आदि गुणों का मूल कारण है।
पवित्र वेदज्ञान को आधार बना कर बहुविध गतिविधियों से संसार के कल्याण हेतु श्रुति विज्ञान विश्वविधालय न्यास की स्थापना तथा तदंतर्गत श्रुति विज्ञान आचार्यकुलम का शुभारंभ चैत्र शुक्ल प्र्तिपदा विक्रम संवत् २०६३ तदनुसार ३० मार्च २००६ को किया गया।
हमारा मुख्य उद्देश्य
मानव मात्र के सुख व उत्थान हेतु समस्त सनातन वैदिक परम्पराओं को स्थापित करते हुए समाज को सत्य सनातन दिशा देना हमारा परम ध्येय है । अपने इस ध्येय की पूर्ति के लिये श्रुति विज्ञान आचार्यकुलम द्वारा वेद-शास्त्रो के अध्ययन-अध्यापन की गुरु-शिष्य परंपरा का समाज से साक्षात् कराना हमारा प्राथमिक कर्तव्य है ।
विशेषताएं
हमारा पाठ्यक्रम
शिक्षा, व्याकरण, निरुक्त, छन्द:, ज्योतिष तथा कल्पादि वेदाङ्ग ।
मीमांसा, न्याय, वैशेषिक, सांख्य, योग तथा वेदान्तादि वैदिक दर्शन ।
वेद, सम्बन्धित ब्राह्मण, आरण्यक, उपनिषद् आदि ।
अन्यग्रन्थ यथा- वाक्यपदीयम्, वैयाकरणभूषणसार, ऋक्सर्वानुक्रमणी, अर्थशास्त्र, नीतिग्रन्थ, कर्मकाण्ड का शुद्ध वैदिक स्वरूप ।
महाभारत तथा रामायण के चुने हुए भाग ।
साहित्य एवं भाषा ।
विशेष रूप से आयुर्वेद ।
इन प्राचीन विषयों के साथ आधुनिक युग के अनुरूप भाषा, व्यावहारिक विज्ञान, गणित, कम्प्यूटर आदि विषयों का परिचय ।
हमारे बारे में
श्रुति विज्ञान आचार्यकुलम एक प्रसिद्ध शैक्षणिक संस्थान है जो प्राचीन भारतीय गुरुकुल प्रणाली के सिद्धांतों का पालन करता है। गुरुकुल का ध्येय अपने छात्रों को अनूठा और समग्र सीखने का अनुभव प्रदान करता है तथा उनका उनकी पूर्ण क्षमता से साक्षात् करा कर समाज के उपयोगी बनाता है।